दिलरुबा, दिल पे तू, ये सितम किए जा, किए जाहम भी तो आग में जलते रहे, प्यार के शोलों पे चलते रहेदिलरुबा, दिल पे तू … क्या बताऊँ क्या दिल का हाल है, जिस घड़ी से मिले हमजैसे सैंकड़ों बिजलियाँ गिरीं, और जल उठे हमहाय, क्यूँ मुझे ख़ाक करने पर तुले हो ज़ालिमआख़िर क्या बिगाड़ा… Continue reading दिलरुबा दिल पे तू ये सितम किये जा